रविवार, 14 अक्टूबर 2012

कवि का घर

( उन सच्चे कवियों को श्रद्धांजलिस्वरूप जिन्होंने फटेहाली में अपनी जिंदगी गुज़ार दी | )

किसी कवि का घर रहा होगा वह..  
और घरों से जुदा और निराला
चींटियों से लेकर चिरईयों तक उन्मुक्त वास करते थे वहाँ  
चूहों से गिलहरियों तक को हुड़दंग मचाने की छूट थी  

बेशक उस घर में सुविधाओं के ज्यादा सामान नहीं थे  
ज्यादा दुनियावी आवाज़ें और हब-गब भी नहीं होती थीं   
पर वहाँ प्यार, फूल और आदमीयत ज्यादा महकते थे
आत्माएँ ज्यादा दीप्त दिखती थीं  
साँसें ज्यादा ऊर्जस्वित   

धरती की सम्पूर्ण संवेदनाओं के साथ
प्यार, फूल और आदमीयत की गंध के साथ
उस घर में अपनी पूरी जिजीविषा से
जीता था अकेला कवि-मन बेपरवाह 
चींटियों की भाषा से परिंदों की बोलियाँ तक पढ़ता हुआ  
बाक़ी दुनिया को एक चलचित्र की तरह देखता हुआ  

तब कहीं जाकर भाषा
एक-एक शब्द बनकर आती थी उस कवि के पास
और उसकी लेखनी में विन्यस्त हो जाती थी  
अपनी प्रखरता की लपटों से दूर, स्वस्फूर्त हो
कवि फिर उनसे रचता था एक नई कविता ..|
Photobucket




15 टिप्‍पणियां:

  1. कविता में पाठक को बांधने की भरपूर शक्ति है। एक अच्छी कविता के लिए बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  2. किसी कवि का घर रहा होगा वह..
    और घरों से जुदा और निराला
    चींटियों से लेकर चिरईयों तक उन्मुक्त वास करते थे वहाँ
    चूहों से गिलहरियों तक को हुड़दंग मचाने की छूट थी

    क्या बात है ....!!
    एक सच्चे कवि का रेखाचित्र खींच दिया आपने .....

    जवाब देंहटाएं
  3. कुछ यथार्थ, कुछ कल्पना। सुन्दर कॉम्बिनेशन है।

    जवाब देंहटाएं
  4. ईमेल पर प्राप्त टिप्पणी -
    बहुत ताजगी है आपकी कविताओं में। बधाई स्वीकार करें।

    आपके लेखन के लिए शुभकामनाएं

    वर्तिका नन्दा
    (nandavartika@gmail.com)

    जवाब देंहटाएं
  5. तब कहीं जाकर भाषा
    एक-एक शब्द बनकर आती थी उस कवि के पास
    और उसकी लेखनी में विन्यस्त हो जाती थी
    अपनी प्रखरता की लपटों से दूर, स्वस्फूर्त हो
    कवि फिर उनसे रचता था एक नई कविता ..well said

    जवाब देंहटाएं
  6. एक-एक शब्द बनकर आती थी उस कवि के पास
    और उसकी लेखनी में विन्यस्त हो जाती थी ....aapne rachna bhee kuchh aisee hee hai..sadar badhayee...

    जवाब देंहटाएं
  7. जब आपकी कविता पढ़ी तो लगा आप मेरे पिता के घर की बात कर रहे हैं , ऐसा ही था वो | और फिर सोचा ठीक तो है , पिता भी कवितायें लिखा करते थे , हालांकि उनकी पहचान कवि के रूप में नहीं रही |
    अच्छी कविताएं लिखते हैं आप !
    सादर
    इला

    जवाब देंहटाएं
  8. कवि के मनोभावों का सुन्दर चित्रण

    जवाब देंहटाएं
  9. आप सबों का बहुत-बहुत धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणी-प्रकोष्ठ में आपका स्वागत है! रचनाओं पर आपकी गंभीर और समालोचनात्मक टिप्पणियाँ मुझे बेहतर कार्य करने की प्रेरणा देती हैं। अत: कृप्या बेबाक़ी से अपनी राय रखें...