शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

आश्वासन के घेरे


[ चित्र: गूगल से साभार ]
(पाटियाला शहर की एक सच्ची घटना पर)

सफेद चमचमाते मलमल के कुरते-पाजामे
और नए जोड़े चप्पल में
वह कल के थीगड़े के दिन भूल गया था
अपने बौरानियों के बीच त्रिपुंड में लंबा तिलक लगा
जयकारों और नारों के शोर में
वक्ष तक पुष्प-गुच्छों से लदा
फब रहा था वह सड़क-छाप
किसी करिश्माई नेता-सा
और आत्मविश्वास से चिल्ला-चिल्लाकर
पर्चियों में भाषण पढ़ रहा था
और फटकार रहा था लगातार
सरकार को चौराहे पर

भीड़ थी और
तेवर में हाथ उठाये लोग भीड़ में
उसकी वाहवाही कर रहे थे
भीड़ से अलग, कुछ फर्लांग हटकर
खड़े थे वर्दी वाले तमाशबीन
शासन को इस बात की इत्तला थी
मीडिया के लोग भी मौजूद थे
जमावड़े की हरकतों पर अपनी नजर जमाये

समझ नहीं पा रहा था वह आदमी
सत्ता की धींगामुश्ती में लगे लोगों की करतूत

नहीं मालुम था उसे कि
राजनीति की कील पर चीजें
धूमती हुई कितनी दूर
और टूटकर गिरती हैं
अपने बेजा इस्तेमाल से एकदम बेखबर  
उस आदमी को पुख्ता आश्वासन मिला था कि
मरने नहीं दिया जाएगा
नामीगिरामी नेती बना दिया जाएगा रातोरात अपनी यूनियन का
पार्टी में अच्छा ओहदा भी दिया जाएगा
उसकी सुर्खियों से पट जाएँगे
न्यूज – चैनलें और अखबारें

भाषण पढ़कर वह
कुछ देर चुप रहा
भीड़ भी खामोश रही
दो-चार घूँट पानी के पीकर फिर
उसने समीप रखे डिब्बे का मिट्टी–तेल
अपने कपड़े पर उड़ेलना शुरू किया
पास खड़े पार्टी के साथियों ने
उसे भिंगोया पोर-पोर
दीये की बाती की तरह
सिर्फ दो मिनट और बचे थे
घटना को अंजाम देने में
सारी तैयारियाँ मुकम्मल थीं
इस दरम्यान कई आँखें आखों से मिली
और इशारे-इशारे में ही
माचिस के डिब्बे उसके हाथ ने धर लिये

भीड़ की देह में
झुरझुरी-सी फैल गई
जब झुककर उसने डिब्बे के मसाले पर
तीली रगड़ी और नीचे रखे तैलीय चिथड़ों में
चिंगारियाँ भर दी
आपाधापी में
लोग समवेत स्वर में
चीखने–चिल्लाने लगे -
जब तक सूरज चाँद रहेगा
काश्यप तेरा नाम रहेगा

लपटें आसमान छूने लगीं और
धूँ-धूँ कर जलने लगा पुतले-सा
आत्मविश्वास का ठसकदार चेहरा
स्वर आलोचना के उसकी चीखें बन गईं 
कुछ क्षण में ही सँजोये सपने सब 
आश्वासन के घेरे में
चिर्र-चिर्र जल गये

कृत्रिम श्वसन–प्रणाली पर रखा
जला हुआ जिस्म आई. सी॰ यू॰ में
रातभर जिंदगी–मौत से लड़ता रहा
सुबह उसकी मौत को
अखबारों और टी. वी. चैनलों ने
तसवीर के साथ प्रमुखता से जगह दिया 
प्रतिपक्ष के नेताओं ने
सड़क-जाम, बंदी और तल्ख-प्रदर्शनों के बीच
सरकार को जीभर के गालियाँ पढ़ी
सरकार के कई माननीय लोगों ने
उसके परिजनों को
सांत्वना और मुआवजे की घोषणा में कहा –
यह सब विरोधियों का किया-कराया है
सरकार के खिलाफ सोची-समझी साजिश है
और चौकसी में तैनात पुलिसकर्मी निलंबित किये गये
घटना के जाँच के आदेश भी दिये गये|
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6 टिप्‍पणियां:

  1. आज की सच्चाई से रूबरू कराती पोस्ट.....

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (26-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  3. एक सच्ची घटना को साझा करने हेतु आभार शानदार अभिव्यक्ति गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाएं

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  4. यही सच्चाई है आजकी.

    गणतंत्र दिवस की शुभकानाएं और बधाइयाँ.

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  5. नहीं मालुम था उसे कि
    राजनीति की कील पर चीजें
    धूमती हुई कितनी दूर
    और टूटकर गिरती हैं

    जवाब देंहटाएं

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