कविता शब्दों से नहीं रची जाती
आभ्यांतर के उत्ताल तरंगों को उतारता है कवि
कागज के कैनवस पर
कविता प्रतिलिपि होती है उसके समय का
जो साक्षी बनती है शब्दों के साथ उसके संघर्ष का
जिसमें लीन होकर कवि जीता है अपना सारा जीवन
बिन कुछ कहे,
और जीने को अर्थ देता है /
जब कविताएँ कान और हृदय से नहीं,
पेट और दिमाग से सुनी जाती हो
शब्द कवि के लिए प्रतीक-चिन्ह नहीं -
एक प्रश्न-चिन्ह बन कर रह जाता है
उसके जीवन का |
आभ्यांतर के उत्ताल तरंगों को उतारता है कवि
कागज के कैनवस पर
एक शब्द-विराम के साथ /
कविता प्रतिलिपि होती है उसके समय का
जो साक्षी बनती है शब्दों के साथ उसके संघर्ष का
जिसमें लीन होकर कवि जीता है अपना सारा जीवन
बिन कुछ कहे,
और जीने को अर्थ देता है /
जब कविताएँ कान और हृदय से नहीं,
पेट और दिमाग से सुनी जाती हो
शब्द कवि के लिए प्रतीक-चिन्ह नहीं -
एक प्रश्न-चिन्ह बन कर रह जाता है
उसके जीवन का |
वाह....
जवाब देंहटाएंआलोचना करने तक का वक्त आज किस के पास है...कोई अपनी हाजिरी टिप्पणी के रूप में दर्ज कर जाए उतना भी काफी समझिए।
बहुत ही अच्छा लिखते हो जनाब लगे रहिये (Keep going so Inspirational and motivational)
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