बुधवार, 31 दिसंबर 2008
अभिनंदन नववर्ष 2009 का !
वर्षांत का विदाई करें ,
आईये करें अभिनंदन वर्ष 2009 का ।
रचें रचना में जन के संघर्ष , अंतर्द्वंद्व को
आवाज़ दे बेआवाज़ को, सहारा दें बेसहारा को ।
शब्दों का ऐसा नगाड़ा बजायें कि जनतंत्र के उल्लू बिला जाये और रात
भी इतना जगजग कर दें कि फिर वह वापस हमारी दुनिया मे न आ पाये !
मैं सभी पाठकों का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ वर्ष 2009 में !
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सुशील जी,
जवाब देंहटाएंआपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की शुभकामनायें..
आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है...
"रचें रचना में जन के संघर्ष , अंतर्द्वंद्व को
आवाज़ दे बेआवाज़ को, सहारा दें बेसहारा को ।"
रचना कार का यही धर्म है... कि रचना करे न कि विध्वंस"
सुन्दर ब्लोग है आपका अब तो आना जाना लगा रहेगा...