[सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की एक कविता से प्रेरित होकर...]
मैं तिनका हूँ
तुम्हारी देहरी का
पैरों तले रौंदा हुआ
तिनकना न मुझे देखकर
तुम्हारे जूतों की ठोकर से
बेचैन हो उड़ूँगा अंधड़ बन
तुम्हारे ही आकाश में
और जा गिरूँगा तुम्हारी
आँख में
किरकिरी बनाओगे आँख की अपनी
तो घनेरी पीड़ बन जाऊँगा
आँख की तुम्हारी
ऐसी कोई जगह नहीं
जहाँ पहुँच न सकूँ मैं
ऐसा कोई हुआ नहीं
जो रोक ले मुझे कहीं जाने से...
आखिर मैं एक तिनका हूँ !
जा मिलूँगा
अन्य तिनकों से तब,
ढूँढ नहीं पाओगे तुम मुझे
तिनकों की ढ़ेर में और
तुम्हें तिनके के बल का
अहसास भी करा दूँगा।
* * * * *
साभार गूगल |
मैं तिनका हूँ
तुम्हारी देहरी का
पैरों तले रौंदा हुआ
तिनकना न मुझे देखकर
तुम्हारे जूतों की ठोकर से
बेचैन हो उड़ूँगा अंधड़ बन
तुम्हारे ही आकाश में
और जा गिरूँगा तुम्हारी
आँख में
किरकिरी बनाओगे आँख की अपनी
तो घनेरी पीड़ बन जाऊँगा
आँख की तुम्हारी
ऐसी कोई जगह नहीं
जहाँ पहुँच न सकूँ मैं
ऐसा कोई हुआ नहीं
जो रोक ले मुझे कहीं जाने से...
आखिर मैं एक तिनका हूँ !
जा मिलूँगा
अन्य तिनकों से तब,
ढूँढ नहीं पाओगे तुम मुझे
तिनकों की ढ़ेर में और
तुम्हें तिनके के बल का
अहसास भी करा दूँगा।
* * * * *
अच्छा है.
ReplyDeleteक्या बात है , गजब की कला है आपमें शब्दो को पीरोने का , बहुत खूब । इस लाजवाब रचना के लिए बधाई स्वीकार करें
ReplyDeleteतिनके का महत्व तो हर कोई जानता है अब वो माने या ना माने ये आग बात है.क्योंकि हर डूबते को तिनके का सहारा चाहिए ही चाहिए. एक बहुत गंभीर विषय उठाया है अपने और बहुत अच्छी तरह पेश की है बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता कही, ओर आप ने एक तिनके का मान बढा दिया, धन्यवाद
ReplyDeleteतिनके के आत्म विश्वास से बहुतों को प्रेरणा लेनी चाहिए ! क्या कुछ नहीं कर सकता इंसान अगर ठान ले ! बहुत ही प्रेरक कविता और सुन्दर भावाभिव्यक्ति ! बधाई !
ReplyDeleteपहली बार आई हूँ और आपकी कविता पढ़कर लगा कि आना सही रहा। मैंने भी तिनके पर बहुत पहले एक कविता लिखी थी तिनकानामा। परन्तु तिनके को जिस तरह से आपने प्रस्तुत किया है वह सर्वथा भिन्न है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
ढूँढ नहीं पाओगे तुम मुझे
ReplyDeleteतिनकों की ढ़ेर में और
तुम्हें तिनके के बल का
अहसास भी करा दूँगा।
मानव मन में छिपे
आत्म-विश्वास , तेज और ऊर्जा से
भली भाँति परिचय करवाते हुए
शानदार प्रतीक
और
जानदार शब्द . . .
अभिवादन
bahut achhi kavita hai, tinka hi to sansaar ka kark hai|
ReplyDeletebahut - bahut shubh kamna