सब कुछ बना है जैसे
बिखर जाएगा वैसे ही
एक न एक दिन -
न फूल बचेंगे न पत्थर
तुम्हारा सौंदर्य
मेरे शब्द
एक-न-एक दिन बिहर जाएँगे
फिर भी बचा रहेगा
हृदय के किसी कोने में हमारा प्रेम
जैसे बचा रहता है पुराने बीज में भी जीवन
हम लौटकर फिर वापस नहीं आएंगे
जिन कागजों पर लिखी गई प्रेम की इबारतें
वे भी धीरे-धीरे जीर्ण-शीर्ण हो जाएँगे
मगर जब भी हमारा प्यार याद किया जाएगा
मेरी प्रेम-कविताएँ उन यादों में मुखर हो उठेंगी
मेरे शब्द तुम्हारे प्यार के कारण ही
शायद धरती पर साबुत रहेंगे|
उत्तम...
ReplyDeleteप्रेम और शब्द तो फिर भी रहेंगे !!
ReplyDeleteउत्कृष्ट भाव
ReplyDeleteप्रेम में भींगे बेहतरीन भाव.
ReplyDeleteAAPKEE LEKHNI SE EK AUR SASHAKT KAVITA . BADHAAEE .
ReplyDeleteप्रेम और प्रेम से जुड़ी चीजें कभी खत्म नहीं होंती।
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ReplyDeleteचिरंतन प्रेम-भावना को व्यक्त करती हुई कविता!
मेरे शब्द तुम्हारे प्यार के कारण ही
ReplyDeleteशायद धरती पर साबुत रहेंगे|
उत्कृष्ट प्रेमाभाव लिये सुंदर प्रस्तुति.